जब वो रावण बोल उठा !!

जब वो रावण बोल उठा !!

एक बार जब वो रावण बोल उठा ,

लोग कहते है , रामायण बस मैंने शुरू की थी ,

भूल गए वो मेरी उस लम्पट बहन शूर्पणखा को,

शुरुवात तोह शायद उसीने की थी,

फिर त्रेतायुग से कलयुग तक

मैं क्यों जलाया जाता हूँ ??

बहोत सोचा , फिर ये समझ आया,

सुनो एक बात पते की ,

आज तुम्हे ये बतलाता हूँ ,

एक गुनाह जो मैंने की थी ,

पुरुष जन्म उस पाप की जड़ थी ,

शायद इसीलिए मैं आज भी जलाया जाता हूँ !!

घूमने गया था कचहरी कल ,

सुना था बड़ी रोचक जगह है ( अहहह ) !!

बहोत सारी मेरी लम्पट बहने , घूम रही थी उस बाजार में,

जिस्म ,रिश्तें और बच्चो का मनो धंधा वह चल रहा था,

देख के उस मंजर को , बस एक ही बात उमड़ पड़ी ,

किसी भी युग में ,

हर एक पुरुष रावण नहीं , ना ही हर वो स्त्री सीता रही !!

दुःख की बात , इस बात से हर कोई अनजान,

दर्द की परिभाषा मानो स्त्री हो गयी ,

अन्यायी की प्रतिबिम्ब मानो पुरुष !!

शायद इसीलिए मैं आज भी जलाया जाता हूँ !!

प्रभाकर जककन

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