हमारा समाज और न्यायप्रणाली पैट्रिआर्की से ग्रस्त है या मिसॅन्डरी से! आप ही सोचिये
हमारा समाज और न्यायप्रणाली पैट्रिआर्की से ग्रस्त है या मिसॅन्डरी से! आप ही सोचिये
इंटरनेशनल मेनस् डे 19 नवंबर के उपलक्ष में - डॉ. मिथुन खेरडे, शोधार्थी, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था (TISS) द्वारा समर्पित पुरुष तेरे कितने रूप तू पिता, भाई, बेटा, दोस्त/ यार/ मित्र, प्रेमी, पति, दामाद/ जमाई, मामा, चाचा/ काका, भांजा, भतिजा, पोता, आदि, तू मेहनतकश किसान, ईटा-भट्टी मजदूर, सैनिक, रिक्षा-चालक, दन्त चिकित्सक, इंजिनीयर, विद्यार्थी, शोधार्थी आदि, तू चलाता है परिवार, करके रात-दिन मेहनत, तू पढाता-लिखाता है बेटी-बेटों को, तू देता है अनगिनत, अनउल्लेखित, अचर्चित कुर्बानियां चुपचाप सहज ही, सह जाता शारिरीक श्रम की पतन को, मानसिक परेशानी की तकलिफों को, सामाजिक-दंश को चुपचाप सहज ही, तू रो पड़े तो कमजोर कहलाता, लड़ पड़े तो निर्दयी कहलाता, बच्चा न जन सके तो नामर्द कहलाता दूख तकलिफ तूझे भी है घेरती, प्रेम और विवाह संबंध में तू भी है धोखा खाता आत्महत्या, प्रताड़न, घरेलू हिंसा, बाहरी हींसा, लैंगिक शोषण, आर्थिक शोषण, दैनिक उत्पीड़न का खतरा तेरे भी सिर पर है मंडराता फिर भी इस देश के - शासन व्यवस्था से पुरुष विकास मंत्रालय लापता हैं, प्रशासन व्यवस्था से पुरुष तक्रार निवारण केंद्र लापता हैं विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों से पुरुष संशोधन केंद्र लापता हैं, न्याय व्यवस्था से पुरूष के घरेलू हींसा से बचाव का कानून लापता हैं क्या दौर चला है लुटेरों का, कानून के गोद में बैठे गैर कानूनी ठगो का! क्या समाज और न्यायव्यवस्था अंधे हो गये है! क्यों देख नहीं पा रहे है रेप, छेड़-छाड़, दहेज़, घरेलु हिंसा, तलाक, गुजरा-भत्ता और चाइल्ड कस्टडी जैसे एकतरफा कानूनों का किस कदर दुरुपयोग हो रहा है? [1] हजारों पुरुष अबला हो चुके है और आत्महत्या करने पर विवश किये जा रहे है। उनके परिवार जिनमें कई सारी महिलाएं – माताएं, बहनें, बुआ, चाची, मामी आदि भी है बेवजह ही इन झूठे मामलों में घसीटे जा राहे है। पुरुषों के साथ-साथ उनके घर के महिलाओं की भी जिंदगियां तबाह की जा रही है। [2] कुछ महीलाओं की मानसिकता ऐसी होती जा रही है की, पति से घरगुती वाद-विवाद के दौरान “मैं पढ़ी-लिखी हूँ, मैं सक्षम हूँ, मैं पति से ज्यादा कमा सकती हूँ, मुझे पति की धन-संपत्ति और पैसों की जरुरत नहीं” इस तरह के दावे ठोकतीं हैं और जैसे ही मामला न्यायपालिका में पहुचता है, तुरंत वे “नारी होने का और ऐतिहासिक रूप से अबला और शोषित” होने का आड़ लेकर “मैं अबला हूँ, मैं सक्षम नहीं हूँ, मैं काम नहीं कर सकती, मैं कमा नहीं सकती, मैं भूख-प्यास से ग्रसित हूँ, मुझे पति की कमाई चाहिए, पति के परिवार वालों की और बूढ़े माँ-बाप के कमाए हुए जमा-पूँजी की जरुरत हैं” ऐसी अर्जी लगाती है. कई महिलाएं पति और सास पर शारीरिक हिंसा करने पर भी उतारू हो जाती है और बाद में खुद ही दहेज़-प्रताड़ना कानून का झूठा सहारा लेकर खुद को अबला साबित करने को तैयार बैठी रहेती है। जब बहू सांस को डंडे से पिटे, या फर्श पर पटक कर मारें या अपने निकट-सम्बन्धियों, मित्रो द्वारा पति को पिटवा दें, या फिर मरवा दें, तब किसके सर पर फोडीयेगा ये ज़ुल्मों-सितम - पैट्रिआर्की या मैट्रिआर्की! [3], [4] कुछ महिलाओं की प्रवृत्ति ऐसी हो गई है कि उन्हें किसी पुरुष की और उसके परिवार की कई सारी अन्य महिलाओं की जिंदगी बर्बाद करने मे कोई हिचक महेसुस नहीं होती. इनको बढ़ावा देने में एक-तरफ़ा सोच रखने वाली कुछ महिलावादी संगठनों और मीडिया का बहुत बड़ा योगदान हैं, जो महिला-पुरुष संबन्धो को एक तरफा सोच से भूनाने में लागे राहते है. क्या हम इन तथ्यों को नहीं जानते? [5], [6], [7] क्या पिता के दर्द के प्रति असंवेदंशील हो चूका है समाज? क्यों हमारे समाज में उस दर्द को महसूस करने की स्थिति नहीं है जो एक पिता तब महसूस करता है जब उसे कानून की आड़ लेकर चंद काग़ज के टुकड़ो के लिए अलग कर दिया जाता है? आजकल ऐसा भी होने लगा है की, कुछ महिलायें या तो गर्भवती होते ही या फिर बच्चें को जन्म देने से कुछ दिन पहले या बाद में, किसी बात पर पति के घर वालों से झगडा करके अपने माइके निकल जाने लगी है। घर जाने के बाद वहां से या तो झूठे दहेज़ उत्पीडन या फिर झूठे घरेलु हिंसा के आरोप पति और उसके परिवार पर लगा देती है. ऐसी घटनाये बढ़ती पर है और इन घटनाओं में काफी सारी समानता है। सोचने वाली बात यह है की, एक पिता को उसके पैदा होने वाले बच्चे से या पैदा हो चुके बच्चे से और उन बच्चों को उनके पिता से अलग करके ऐसी महिलायें क्या पा लेती है? कागज के चंद टुकड़े और जमीन का थोड़ा हिस्सा! पर क्या ऐसे परिवारों को और इन महिलाओं को समाज बेशरम, झूठे, मक्कार इन नामों से नहीं पुकारेगा? ऐसे कई मामलें हो चुके है, फिर भी हम देखते है की, कई मामलों में, न्यायाधीश अभी भी एक महिला को अधिक प्राकृतिक रूप से देखभाल करनेवाली मानते हैं। [8], [9], [10], [11], [12], [13] संवैधानिक अधिकार दोनों को, पर क्या शासन-प्रशासन-व्यवस्था और न्याय-पालिका के समक्ष है दोनों को बराबरी! कुछ सम्मानित भारतीय महिलाएं अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, जबकि अन्य कुछ महिलाएं कानूनों के दुरुपयोग करके पुरुषों से पैसा निकलवाने के चक्कर में - झूठे घरेलु हिंसा, झूठे दहेज़-प्रताड़ना के मामलें दर्ज करवाते है और ससुराल वालो द्वारा अनुचित व्यवहार की झूठी बदनामी करना - इस तरह के टोटके का सहारा लेते हैं। कुछ माँ-बाप ने बेटी का इस तरह से घिनौना सौदा करने का मन बना रखा है की मानो वे कन्यादान नहीं बल्कि, घर-बैठे कमाई और ठगी का जुगाड़ कर रहे हो। जो सच में पीड़ित है, ऐसी महिलाओं को न्याय दिलवाने के उद्देश्य से घरेलु हिंसा अधिनियम के अंतर्गत देश भर में अनेको महिला शिकायत केंद्र/ महिला थाने खोले गए है। ये केंद्र निजी/ गैर-सरकारी संस्थाएं, पुलिस एवं सरकारी सुरक्षा अधिकारी द्वारा कार्यरत है। इनमें पारिवारिक मसलों के साथ-साथ महिलाओं पर होने वाले अन्य प्रकार के शोषण के मसलों को समुपदेशन द्वारा सुलझाने का काम किया जाना होता है। परन्तु इनमे भी आलम यह है की, अधिकांश शिकायतें झूठी और आरोप बेबुनियाद पाए जा रहे है। [14] कुछ लोगो के मुताबिक महिला शिकायत केंद्र ये आम तौर पर महिलाओं की ओर से पुरुष-पक्ष से जबरन पैसे ऐठने का ही काम करते है. पुरुषों से वे समुपदेशन के दौरान चाहे कितना भी सहमति जताएं, अंत में वे महिला की ओर से उसके बयान के अनुसार ही काम करेंगे और यदि महिला की बात आप ना मने तो FIR करने में भी हिचकिचाएंगे नहीं। इससे स्पष्ट है की शासन-प्रशासन के इस प्रयत्न का भी कुछ महिलाएं गलत फायदा उठाने से नहीं चुकती। सर्वोच्च न्यायालय ने भी आखिर कार ऐसे बेबुनियादी आरोपो और महिलाओं द्वारा कानून के दुरुपयोग का संज्ञान लेकर इसे “लीगल-टेररीझम” मतलब “कानूनी आतंकवाद” कह दिया है। [15], [16], [17], [18], [19] इसके विपरीत, पुरुषों के लिये इस कानूनी आतंकवाद से बचाव हेतु सशासन-प्रशासन या न्याय-व्यवस्था कि ओर से पुरुष शिकायत केंद्र/ पुरुष थाना जैसी कोई सुविधा उपलब्ध ही नहीं है। परेशान होकर भी कोई प्रशासनिक शिकायत/ समाधान का रास्ता न होने की वजह से कई पत्नी-प्रताड़ित पुरुष अब इन्हीं महिला थानों/ शिकायत केन्द्रों में जाकर अपनी शिकायतें दर्ज करवाने पर मजबूर हो रहे है. [20] बेटी को सिखाया नहीं जिन्होंने मेहनत करके खाना, जोरों से चल रहा है ऐसे माँ-बापों का झूठ और फरेब का जाल बिछाना इसीलिए जरुरी है की, अब की बार बनें उसीकी सरकार जो केवल “बेटी बचाओ - बेटी पढाओ” तक सीमित न रहकर "बेटी को खुद के मेहनत का कमा कर खाना और बुज़ुर्ग माँ-बाप तथा सास-ससुर को खिलाना सिखाओ" ऐसा नारा और सीख दें। ताकि हमारे देश की बेटीयां किसीको झूठे दाहेज प्रताड़न और झूठे घरेलू हिंसा की कानूनी बैसाखी पाने की साजिश न रचे, खुद स्वावलंबी बने और पति का, पति के घर की अन्य महिलाओं का और खुद का घर तथा जन्म ले चुके/ जन्म लेने वाले बच्चे का भविष्य बरबाद न करें। समाजिक शिक्षण व्यवस्था-संसथान तथा शासन-प्रशासन को चुनौती स्वीकारनी ही होगी जरूर उन पुरुषो को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए जिन्होंने महिलाओं पर अत्याचार किया है किन्तु, क्यों उन महिलाओं और उनके परिवारों को कठोर दंड नहीं मीलना चाहिए जिन्होंने पुरुष-पक्ष पर झूठे आरोप लगा कर उनका शारीरिक और आर्थिक शोषण किया है, मान-सम्मान और जीवन बर्बाद करने का प्रयास किया हैं? कानून के प्रावधानों का अध्ययन करें तो यहाँ साफ़ है की, महिला-पुरुष के हर तरह के विवादों में न्याय कम और सौदेबाज़ीं के प्रावधान ज्यादा है. चाहे रेप हो या दहेज़-उत्पीड़न चाहे छेड़-छाड़ हो या घरेलु हिंसा हर जगह न्याय व्यवस्था अपनी जगह से भटक-कर दोनों पक्षों के बिच समझौता करवाने में जुटी दिखाई पड़ती है, और अधिकांश तौर पर समझौता यह पैसे के लेन-देन के इर्द-गिर्द ही घुमाता दिखाई देता है! [21], [22], [23], [24], [25], [26] सोचने की जरुरत है की, विवाह और परिवार में बराबरी-गैरबराबरी का सौदा करते-करते और उसका पैसों से माप-तौल करते-करते कहीं हम उलटी दिशा में इतना आगे तो नहीं बढ़ चुके हैं की अब – परस्पर मानवी सम्बन्ध, विवाह और परिवार इन संकल्पनाओं को ही गैरकानूनी करार दे-देना चाहिए! हमारे दिल और मस्तिष्क किस तरह की सोच के लिए प्रशिक्षित किये जा रहे है? [27] पति के तन और मन को पैरों-तलें ठोकर मारकर, आजकल कुछ जालिम पत्नियां केवल पति के धन को अपना बना लेना चाहती है वाह रे पत्नी! वाह रे पत्नी की अर्थव्यवस्था! पत्नी की सोच: पति पर और पति के माता-पिता की जमा-पूंजी, धन-संपत्ति पर कब्जा कर लिया जाए! पति के माँ के मन में डर: बेटा और अपनी जीवन-भर की जमा-पूंजी हाथ से न चली जाए! यह दो मादाओं/ महिलाओं का जीवन-संघर्ष बनता जा रहा है! इसके कई उदहारण भारत भर के हर समाज, जाती, धर्म में पाए जाते है! कई बार ये कब्जा-ज़माने-वाली पत्नी के डाव-पेच और माँ की बेटा-धन-संपत्ति बचाव कोशिश घर-परिवार के अन्दर तक सिमित न रहकर आपराधिक, पुलिस यंत्रणा, कानून-व्यवस्था, शासन-प्रशासन, न्याय-पालिका, सामजिक, राजनैतिक हस्तक्षेप आदि की समस्या बन जाते है! वाह रे वास्तव! वाह रे समाज! वाह रे संसार! इसीलिए न तो पैट्रिआर्कीयल, न ही मैट्रिआर्की से ग्रसित, न तो मिसोगायनिस्ट, न ही मिसएंड्री से ग्रसित, बल्कि, जरुरत है की महात्मा ज्योतिराव, सावित्रीबाई फुले और डॉ. आंबेडकर तथा रमाबाई आम्बेडकर ने मिलकर सोचा होगा वैसा, उनके सपनों वाले समतामूलक मानवतावादी समाज की संरचना हो, वरना खतरा केवल पुरुष या महिला को नहीं बल्कि खतरा मानवतावाद को है! संदर्भ:
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False rape plaints raise concern over misuse of law https://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/false-rape-plaints-raise-concern-over-misuse-of-law/articleshow/cms
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Delhi businessman records suicide video, accuses in-laws of torturing him
https://www.indiatvnews.com/news/india-delhi-businessman-commits-suicide-records-video-accuses-in-laws-of-torturing-him-482526
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बहू ने सास को फर्श पर पटका, टांग की हड्डी टूटी, केस दर्ज
https://m.jagran.com/lite/haryana/kaithal-mother-in-law-were-beaten-up-severely-hosptalised-case-lodged-by-18671209.html?__twitter_impression=true
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Woman kills hubby, nabbed
https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/woman-kills-hubby-nabbed/articleshow/66790607.cms
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MeToo movement: Kate Sharma withdraws sexual harassment case she filed against Subhash Ghai
https://timesofindia.indiatimes.com/entertainment/hindi/bollywood/news/metoo-movement-kate-sharma-withdraws-sexual-harassment-case-she-filed-against-subhash-ghai/articleshow/66780366.cms
8. PRESS RELEASE: Separated fathers cry foul, threaten to sit for hunger strike if demands not met https://www.saveindianfamily.org/press-release-separated-fathers-cry-foul-threaten-to-sit-for-hunger-strike-if-demands-not-met/
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तलाक के केस में बच्चों के लिए होगी अब जॉइन्ट कस्टडी!
https://aajtak.intoday.in/story/law-panel-for-joint-custody-of-kids-in-divorce-1-813662.html
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बेटा गंवाया,बहू छोड के चली गयी,पोती को भी ले गयी,मुआवजे का पैसा भी ले गयी...... अब मै क्या खाऊ, कैसे जीवनयापन करु
https://www.amarujala.com/chandigarh/amritsar-train-accident-dead-ravana-dalbir-singh-mother-swarn-kaur-emotional-story 11. ENOUGH IS ENOUGH- The Injustice that is our Child Support System https://www.sbnewspaper.com/2015/09/03/enough-is-enough-the-injustice-that-is-our-child-support-system/
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Military Child Custody: Widespread Injustice For Fathers Rights https://dadsdivorce.com/articles/military-child-custody-widespread-injustice-for-fathers-rights/
13. Dads' rights: the rise of firms for fathers going through divorce https://www.theguardian.com/lifeandstyle/2016/oct/15/fathers-rights-divorce-lawyers
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Around 80% of the cases we get turn out to be false”
https://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/mahila-thana-an-asset-or-mere-tokenism/article6266925.ece 15. Misuse of dowry provisions is legal terrorism: Court https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/Misuse-of-dowry-provisions-is-legal-terrorism-Court/articleshowprint/7615680.cms 16. Anti-dowry regulations in India: License for legal terrorism! http://saudigazette.com.sa/article/171348/Anti-dowry-regulations-in-India-License-for-legal-terrorism!
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False dowry charge ground for divorce, Supreme Court rules
https://timesofindia.indiatimes.com/india/False-dowry-charge-ground-for-divorce-Supreme-Court-rules/articleshow/45253503.cms
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No automatic arrests in dowry cases, says SC
https://www.thehindu.com/news/national/No-automatic-arrests-in-dowry-cases-says-SC/article11250627.ece
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Breaking ; No Automatic Arrest in 498-A Cases, SC Issues Strict guidelines to Police and Magistrates, Non Compliance will Attract Disciplinary & Contempt Proceedings [Read the Judgment]
https://www.livelaw.in/automatic-arrest-498-cases-sc-issues-strict-guidelines-police-magistrates-non-compliance-will-attract-disciplinary-contempt-proceedings/
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Women’s panel gets cases from male victims
https://timesofindia.indiatimes.com/city/ranchi/womens-panel-gets-cases-from-male-victims/articleshowprint/67210770.cms
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बायको-मुलांच्या देखभालीसाठी नवऱ्याने भीक मागावी, उधारी घ्यावी किंवा चोरी करावी – उच्च न्यायालय
https://www.loksatta.com/desh-videsh-news/husbands-duty-is-to-maintain-his-wife-child-he-may-beg-borrow-or-steal-1788141/
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The price of marriage and divorce
https://www.sbs.com.au/yourlanguage/punjabi/en/article/2018/11/30/price-marriage-and-divorce
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Victims of Legal Terrorism
http://www.498a.org/victimStories.htm
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Dowry: what the data says and what it doesn’t
https://www.thehindu.com/opinion/blogs/blog-datadelve/article6186330.ece
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Adultery no longer a criminal offence as SC scraps Section 497 of IPC https://www.thehindu.com/news/national/adultery-not-a-criminal-offence-as-sc-strikes-down-section-497-of-ipc/article25055245.ece
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Delhi Court Refuses To Book Woman For Filing False Rape Case
https://www.ndtv.com/delhi-news/delhi-court-refuses-to-book-woman-for-filing-false-rape-case-173962
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खुलासाः घर लौटा फौजी पति तो पत्नी मिली प्रेग्नेंट, ऐसे खत्म की जिंदगी
https://aajtak.intoday.in/crime/story/husband-killed-pregnant-wife-doubt-her-character-commits-suicide-chhattisgarh-1-948141.html