वैवाहिक बलात्कार

 

मित्रो नारीवादीओ ने वैवाहिक बलात्कार को दंडनीय अपराधिक कृत्य बनाने के लिए अभियान तेज कर दिया है| अभी तक भारतीय कानून के अनुसार वैवाहिक बलात्कार गैर-अपराधिक घरेलू हिंसा है जिसके आधार पर कोई स्त्री अपने पति से तलाक ले सकती है लेकिन उसे बलात्कार के केस में नहीं फसा सकती. जैसा की हम जानते है की निर्दोष पुरुषो को झूठे केस में फ़साना और देश की पारिवारिक नीव क ख़त्म करना नारीवादियो का परम लक्ष्य है, नारीवादियो ने इसे एक अपराध बनाने के लिए मुहीम फिर से छेड़ दी है ताकि कोई स्त्री अपने पति को झूठे दहेज़ के केस के साथ बलात्कार के केस में भी फसा सके और उसकी जिंदगी ताउम्र जेल में ही बीत जाय. इसके लिए मीडिया ‪#‎Presstitute‬ से लेकर तमाम नारीवादी ‪#‎MyChoice‬ संगठन हंगामा मचने के साथ झूठे मनगढ़ंत कनानियो को लेकर लोगो को बरगलाने और सरकार पर दबाब बनाने के लिए सक्रीय हो गए है.

नारीवादी इसके समर्थन में अनेक कुतर्क देती है लेकिन हमारा उद्देश्य है आपको सच्चाई से अवगत करवाना. वैवाहिक बलात्कार जैसी नारीवादी कल्पना को क़ानूनी मान्यता मिल जाने के बाद इसके क्या दुष्परिणाम हो सकता है:

सुहागरात के दिन ही अधिकांश भारतीय पुरुष बलात्कारी घोषित हो जायेंगे:-

भारत में अधिकांश विवाह अर्रेंज होती है जो परिवार द्वारा तय किया जाता है और शादी दो अंजान लोगो के बीच होती है. इसे उलट पश्चिम में जहा सेक्स फी है वहा पर विवाह करने से पहले जोड़े साथ रहकर सेक्स का अनुभव पहले ही ले लेते है. अंतर यही होता है की पश्चिम में लडकिया शादी से पहले या आड़ में सेक्स को लेकर शर्म महसूस नहीं करती लेकिन भारत में नवविवाहिता सेक्स संबंध पहली बार सेक्स संबंध बनाने से पहले हया-शर्म महसूस करती है. ऐसे में कुछ शारीरिक बल का प्रयोग हो जाना स्वाभाविक है और और  होता भी है. लेकिन इस आधार पर ये वैवाहिक बलात्कार के श्रेणी में आ जायेगा और फिर उसपर दंडात्मक कार्यवाही करके उसे एक बलात्कारी के तरह जेल भेजा जा सकेगा. फेमिनिस्ट हमेशा से शादी के पहली रात में बनाये गए संबंध को बलात्कार कहती आई है. कहने का मतलब ये है की यदि सुहागरात में जिसने संबंध बनाया है अ बनाएगा वो बलात्कारी कहलायेगा. इसलिए जब तक आपके पत्नी से कथिक या लिखित रूप से यौन संबंध बनाने की अनुमति नहीं मिल जाती आप उससे संबंध नहीं बना सकते भले ही इस अनुमति को प्राप्त करने में कई साल ही क्यूँ न बीत जाय. भारत में शादी करके सुहागरात मनाना बलात्कार माना जाने लगेगा और जितने भी पुरुष सुहागरात बना चुके है वो इन फेमिन्सित सोच के अनुसार पहले से ही बलात्कारी है.

आदमी का यौन इच्छा कब हो ये पत्नी तय करेगी:-

अब यौन संबंध बनाने की इच्छा आदमी को कब होगी वो पत्नी तय करेगी. भारत के कानून के अनुसार यदि आप पत्नी के यौन इच्छा को तृप्त नहीं करते तो आप घरेलु हिंसा करते है और आगामी कानून के अनुसार आप उसके इच्छा के बगैर करते है तो आप एक बलात्कारी कहलायेंगे. इसका मतलब ये है की भारत में पुरुष अपने पत्नी के सेक्स गुलाम(sex slave) के सिवा कुछ भी नहीं क्यूंकि पुरुष सेक्स कब करेगा ये पत्नी तय करेगी.

पत्नी चाहे तो पुरुष आजीवन यौन सुख का उपभोग नहीं कर सकता:-

पत्नी चाहे तो आदमी को आजीवन यौन सुख से महरूम रख सकती है और फिर आदमी कुछ नहीं कर सकता उसको तलाक देने के सिवाय. ऐसे में या तो आप जिन्दगी भर सेक्स न करे या उसको तलाक दे जो की फिर से एक बहुत कठिन है भारतीय पुरुष के लिए क़ानूनी रूप से अपनी पत्नी से छुटकारा पाना. ऐसे में तलाक होने में कई साल लग जाते है तब तक आदमी कही नहीं जा सकता अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए. भारतीय कानून के अनुसार जब तक तलाक न हो जाय पति यदि किसी और महिला से संबंध बनाता है तो उसे adultery के अपराध के तहत करावास हो सकता है. किन्तु ये adultery का कानून किसी के पत्नी पर लागु नही हो सकता इसलिए भारतीय कानून के अनुसार महिला विवाह बंधन में रहते हुए किसी भी आदमी से संबंध बना सकती है और ये क़ानूनी रूप से मान्य है. इसका मलतब औरत शादी में रहते अपने बॉयफ्रेंड से सेक्स कर अपनी वासना शांत कर सकती है लेकिन जब तक वो न चाहे उसका पति सेक्स नहीं कर सकता. ये है भारतीय कनुन का दोहरा मानदंड.

पत्नि अपनी कोई भी काम करवाने का हथियार बन जायेगा ये कानून:-

सेक्स एक हथियार बन जायेगा भारतीय महिलाओ के लिए जिसका उपयोग कर औरत अपने पति से अपने इच्छा अनुसार काम करवा सकेगी. आदमी को न चाहते हुए भी उसकी इच्छा पूर्ण करनी हॉग तभी वो उसे यौन सुख मिलेगा पत्नी से अन्यथा नहीं. इसका दुष्परिणाम ये होगा की आदमी एक तरह से अपने पत्नी की बात चाहे अनचाहे पूर्ण करनी पड़ेगी एक गुलाम की तरह.

पत्नी यदि चाहे तो इस कानून का दुरूपयोग करके पुरुष का पूरा जिंदगी बर्बाद कर सकती है:-

ये सबसे खतरनाक बिंदु है इस कानून का. 498A और घरेलु हिंसा जैसा अपराध का दुरूपयोग किसी से छुपा नहीं है और भारत में व्वाहिताओ द्वारा इसका इतना दुरूपयोग किया गया की उच्चतम न्यायलय ने इसे क़ानूनी आतंकवाद की संज्ञा दे दी. इस कानून के बाद इसका भी दुरूपयोग धरल्ले से किया जा सकेगा और अपने पति से विवाद होने पर महिलाये दहेज़ और घरेलु हिंसा कानून के साथ इस कानून का दुरूपयोग भी अवश्य करेंगी. कई निर्दोष पुरुष इस कानून की बलि चढ़ा दिए जायेंगे. स्मरण रहे भारत में हर 8 मिनट में एक विवाहित भारतीय पुरुष पत्नी द्वारा कानून का दुरूपयोग से आहत होकर आत्महत्या कर लेता है. इस कानून के बन जाने के बाद ऐसी घटनाओ में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होगी और कई निर्दोष पुरुषो की जिंदगी जेल में ही बीत जाएगी.

आदमी को औरतो का गुलाम बनाने का एक हथियार:-

जैसा की पहले ही ये बता दिया गया है ऐसे कानून बनाने का मकसद है पुरुषो को शारीरिक, मानसिक और सेक्स गुलाम बनाना और जो पुरुष अपने पत्नी के आदेश की अवमानना करे उसपर बलात्कार का केस करके उसे जेल में सड़ा देना.
इससे अनैतिक संबंधो और लिव इन जैसी संस्था को बढ़ावा मिलेगा:-

जिसके पत्नी ने कई हफ्तों यह महीनो तक सेक्स की अनुमति नहीं दिया है वो किसी और औरत से संबंध बनाने लगेगा और औरतो को कानून ने विवाह में रहते किसी सभी संबंध बनाने की छुट तो दे ही रखी है ऐसे समाज में अनैतिक संबंध बनेंगे. सेक्स एक शारीरिक आवश्यकता है जिसे पत्नी द्वारा तृप्त करने से नकार देने के बाद किसी और औरत के साथ करने का चलन शुरू हो जायेगा.

देश में विवाह संस्था जल्द ही समाप्त हो जाएगी:-

युवाओ में अब लिव इन जैसी चलन बढ़ने का मूल वजह यही है क्यूंकि विवाह को पुरुषो के लिए बहुत दुखद अनुभव बना दिया गया है जिसमे पत्नियो को तरह तरह के अधिकार दिए गए है कानून द्वारा और साथ में अपने पति को फसंने के लिए कई क़ानूनी ब्रह्मास्त्र दिए गए है. जिसके दुरूपयोग के बढ़ने के वजह से लडको में विवाह के प्रति आस्था ख़त्म हो रही है और वो लिव इन जैसी चीजो का रुख कर रहे है. अब वैवाहिक बलात्कार जैसी कानून आ जाने के बाद कोई भी समझदार पुरुष शादी करने से पहले सौ बार सोचेगा जिसका परिणाम ये होगा की लड़के शादी विवाह नहीं करेंगे जैसा की पश्चिम के देशो में अभी हो रहा है जिसके फलस्वरूप भारत में आगामी कुछ दशको में शादी होनी बंद हो जाएगी और विवाह संस्था ख़त्म हो जाएगी.

इतना लम्बा लेख लिखने का मकसद आपको feminist #MyChoice और मीडिया #Presstitute के षड़यंत्र से अवगत करवाना था जिससे ये भारत में विवाह संस्था को ख़त्म करवाना चाहते है. इनके अनुसार दीपिका के औरतो का विवाह से पूर्व और विवाहेतर #MyChoice यौन संबंध बनाना सही है लेकिन आदमी का विवाह करके पत्नी से संबंध बनाना बलात्कार है. इस लेख को पढ़े और दूसरो के साथ खूब शेयर करे ताकि सच सबके सामने आ सके और लोग ऐसे बेहूदा कानून का विरोध कर सके धन्यवाद.

 
नोट: ऊपर लिखित विचार लेखक के हैं, Vaastav फाउंडेशन लिंग तटस्थ कानून व कानून के दुरुपयोग के लिए कठोर दंड का समर्थन करता है और लैंगिक समानता में विश्वास रखता है।

You may also like...