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बेज़ुबान कब से मैं रहा……बेगुनाह सेहता मैं रहा – Vaastav Foundation

बेज़ुबान कब से मैं रहा……बेगुनाह सेहता मैं रहा

“बेज़ुबान कब से मैं रहा……बेगुनाह सेहता मैं रहा,
 बेज़ुबान कब से मैं रहा……बेगुनाह सेहता मैं रहा.
मौजुदा सामाजिक परिस्थिती मे कुछ ऐसा ही हो रहा है ! भारत के पुरुषो के बारे मे! अब भारत पुरुषप्रधान देश नहि रहा!!! क्या सोच रहे हो, हा सभिको ये मजाकिया बात लग रही होगी, पर ये वाकईमे सच है.  पुरुष सिर्फ भारतके न्यायव्यवस्था, कानून, पुलिस, सरकार के हाथो की कटपुटली बन बैठा हैं. जी हान ये सच हैं.
भारतमे महिलाओंके लिये ५० से भी ज्यादा कानूनी धाराये अस्तित्व मे हैं और पुरूषोंके लिये एक भी सक्षम कानून नहि बना है. महिला सक्षमीकरण के लिये बनाये गये कानुनी धाराओंका गलत ईस्तेमाल बढता जा रहा है.  भारत मे महिलाये अपने निजी स्वार्थ के लिये पुरुषो को घरेलु हिंसाचार, बलात्कार जैसे झुटे मुकदमे मे फंसा रहे हैं और फिर न्यायालय एवं पुलिस स्टेशन के चक्करमे उसका जीवन व्यर्थ बीत जाता है. कुछ उच्च न्यायालय के जजो ने भी इस बढते झुटे मुकदमे के प्रति चिंता व्यक्त की हैं, जीनमे दोषी ४% तो निर्दोष पुरुष 96% पाये जाते हैं. आजके समय में पुरुषो का दर्जा इतना नीचे गिर गया है, के कोईभी महीलाये उठकर किसिभी पुरुष पे झुठे आरोप लगा देती हैं और पुरुष इन आरोपोके आगे हतबल हो जाता है. भारतमे सालाना 96000 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं ज्यो की महिलाओंके आत्महत्या से तीन गुना अधिक हैं. फिरभी पुरुषोंके लिये एकभी  हेल्पलाईन नहीं है, ऐसी बिकट परिस्थिती आन पडी हैं.
ऐसेही झुठे आरोपोका सामना और पुरुष प्रतारणा अनगीनत पुरूष झेल रहे हैं. आज हम ऐसेही एक सर्वसामान्य पुरुष के बारें मे बात करेंगे….हान हम बात कर रहे हैं ऊसी झोमॅटो डिलिव्हरी बॉय “कामराज” की.  बंगलोर मे रहनेवाला कामराज झोमॅटो डिलिव्हरी बॉय के तौर पर काम कर रहा था. कामराज २८ साल का एक मेहनती लडका. कामराज के पिताजी पेशेसे वकिल थे, पर १५ साल पहले ही उनकी मृत्यू हुई. उनके बाद कामराज पे घरकी जिम्मेदारी आई,  ऊसकी बुढी माताजी के उपचार के लिये उसको झोमॅटो डिलिव्हरी बॉयकी नोकरी करनी पडी. एक सिधा साधा युवा, अपने  २६ महिने के कार्यकाल मे कामराजने बडी मेहनत और लगन से ५००० से भी ज्यादा फूड डिलिव्हरी की है. और तो और  उसकी मेहनत देखकर झोमॅटो कंपनी ने भी उनके ट्विटर अकाऊंट पे कामराज को ४.७५ की रेटिंग दी हैं. तो फिर एैसा क्या हुवा जिसके कारण झोमॅटो कंपनी ने कामराज जैसे मेहनती कामगार को काम से निकाल दिया ………. क्या हुवा था ऊस दिन?
“बस एक झूठा आरोप, और कामराजका करीयर बरबाद”
बात है ९ मार्च २०२१ की जीस दिन कामराज के जिवनका सबसे बुरा दिन आया. हमेशाकी तरह कामराज डिलीव्हरी पहुचाने गया, पर वहा कुछ ऐसा हुवा के कामराज के पैरोतले जमीन खिसक गयी. फूड डिलीव्हरी करने गये कामराज को अबकी बार एक ऑर्डरकी डिलीव्हरी करनेमे कुछ देरि हुई. उसने फूड पॅकेट कस्टमर को दिया, ज्योकी कस्टमर ने “कॅश ऑन डिलीव्हरी” चॉइस किया था तो कामराज ने कस्टमर से सभ्यता दिखाते हुये खाने के पैसे की मांग की.
और फिर क्या सामने थी गुस्साई हूई कस्टमर मॉडेल हितेशा चंद्रानी झोमॅटो कस्टमर केअर को कामराज की कम्प्लेंट करने कॉल कर रही थी, तभी कामराज ने शालीनता से माफी मांगकर कम्प्लेंट ना करनेकी विनती करी. तभी गुस्सैल हितेशा ने गाली गलोच करते हुए,  चप्पल स्टँड से चप्पल उठाते हुए कामराज को चप्पल से पिटणे लगी. कामराज ने हीतेशा को रोकनेकी कोशिश मे, हितेशा की उंगली की अंगुठी उसके नाक पे दमक पडी और उसके नाकपे खारोच अाने के कारन ऊस खरोच से खून आने लगा. तो फिर क्या इसी अवसर का गलत इस्तेमाल करनेमें हितेषा बिलकुल नही चूकी. हितेषाने तुरंत झुठी पुलिस कम्प्लेंट कर दि.
आजकाल तो ट्रेण्ड चल रहा है, कोई लडकी सोशल मीडिया पर कोई इमोशनल स्पीच डाले तो उसके फा‍‍ॅलोवर्स धडल्ले से बढ जाते हैं. हितेषानेभी यही किया, अपना झूठा इमोशनल व्हिडिओ सोशल मीडिया पे दालकर अपने फा‍‍ॅलोवर्स बढाने का प्रयास किया!!! बस…अब क्या होता…झोमॅटो कंपनीने सच जाने बीना ही तुरंत कामराज को नोकरिसे निकाल दिया.  इन सभी घटनाओ से कामराज तुटने लगा, पर वो जानता था के उसने कोई गलत काम नही किया है, वो जाणता था के वो अकेला हैं फिर भी हिम्मत हारे बीना उसने भी सोशल मीडिया पे जनता से न्याय की अपील की. जनता ने भी कामराज को सही बताते हुए ऊसको सच्चा और ईमानदार बताया.
वो कहते हैं ना एक सच सौ झूठ पे भारी, और एक झूठ छिपाने के लिये सौ झूठ कहने पडते हैं. हितेषानेभी यही किया, अपने एक दुसरे व्हिडिओ मे उसने अपनी और एक चोट (खुद से बनायी गयी) दिखायी, फिर क्या जनता ने उसके झूठ को पकड ही लिया.
कुछ सोशल मीडिया एन्फ्ल्यून्सर ने हितेषा के खिलाफ एफ आई आर कर दी. कामराज ने भी हीतेषा के खिलाफ कम्प्लेंट करी है. अब तो ये भी पता चला है के हितेषा डर के मारे बंगलोर छोडके कोई और राज्य मे चली गयी है.
खैर सच्चा कौन झूठा कौन ये सब बाते समयके साथ पता चलही जाएगी, हमारा मुख्य और महत्वापूर्णा मुद्दा हैं के अगर कामराज सच्चा और हितेषा झूठी साबीत हुई तो क्या हमारी न्यायव्यवस्था कामराज के साथ न्याय करेगी या हितेषा महिलाव्वादी प्ले कार्ड दिखाकर कानुन के चंगुल से बच निकलेगी और जबतक ऐसे झुठे केसेस होते रहेंगे पुरुष एैसेही हमेशा की तरह दर्द, ना इंसाफी, प्रतारणा सहता ही रहेगा ये हमारे न्यायव्यवस्थासे पता चल ही जायेगा.
एन घटनाओसे हमें एक सीख और लेनी चाहिए के अगर आप सच्चे हो तो, कोई भी बूरे हालात मे ना तुटते  हुए ऊन हालातोन का दटकर सामना करना चाहिए, चाहे वो पुलिस यंत्रणा हो, न्याय यंत्रणा हो, या झुठें मुकदमे करने वाला इंसान हो, जीत आपकी ही होगी.  चलो फिर से एक बार पुरुष आयोग की मांग करे.
कुछ पंक्तिया पुरुषो के लिये
“समझ ना मुझे समझ ना मुझे समझ ना मुझे हल्का रे, संभाल के ज़रा संभाल के ज़रा संभाल के ज़रा रहना रे,
सीने में है दरिया, है कोई ना और जरिया,
कह दूंगा जो नहीं कहा कभी, अब नही रहना बेझुबान”
लेखक – दर्शन पवार
पुरुषो के हक के लिये, सहायता के लिये तत्पर “वास्तव फाऊंडेशन”.
हेल्पलाईन नंबर – 8882498498

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